आज के देशवासी यह जानते ही नहीं कि सच्चे हिंन्दुस्तानी वे थे ,जिन्होंने भारत माँ को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और स्वतंत्र भारत की रक्षा के लिए कभी पाकिस्तान,कभी चीन और फिर कारगिल की बरफीली चोटियों पर जान हथेली पर रखकर शत्रु से लोहा लेते हुए विजय प्राप्त की।उन्होंने अपनी जवानियाँ अपने देश के लिए अर्पित कर दी। क्या हम देशवासी जानते हैं कि काकोरी कांड के शहीद अशफाक उल्ला खाँ ने फाँसी गले में डालने से पहले यह कहा था- ' हिंन्दुस्तान की जमीन में पैदा हुआ हूँ, हिंन्दुस्तान ही मेरा घर, मेरा धर्म और ईमान है। मैं हिंन्दुस्तान के लिए मर मिटूँगा और इसकी मिट्टी में मिलकर फक्र का अनुभव करुँगा। शहीद मदन लाल ढींगरा ने भी लंदन की पैटर्न विले जेल में फाँसी दिए जाने से पहले यही कहा था- ' भारत माँ की सेवा मेरे लिए श्रीराम और कृष्ण की पूजा करने जैसी है।' भारत के बेटे- बेटियाँ स्वातंत्र्य समर में यही गीत गाते थे- हिंन्दुस्तान के हम हैं , हिंन्दुस्ताँ हमारा। प्राणों से भी बढ़कर है, यह हमको प्यारा।। आजादी के दीवानों के लिए भा
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