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भारत की आजादी की सच्चाईयाँ

                            आजादी से जुड़ी सच्चाई दोस्तों नमस्कार,इस आर्टीकल में अपने भारत देश की आजादी से जुड़ी सच्चाईयों को मैने लिखने का प्रयास किया है,जो कि हम कई सालों तक अपने ही देश में अँग्रेजों का गुलाम बनकर जी रहे थे।जरा सोचिए, जो देश काफी लंबे समय तक किसी की गुलामी सही हो,उसके लिए आजादी का क्या मतलब रहा होगा।हमारा भारत 15 अगस्त सन् 1947 को अँग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ,और आजाद भारत के लिए 15 अगस्त एक तारीख ही नहीं बल्कि ,आजादी की जश्न का वह दिन है,जिसके लिए कितने वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी और कितने क्राँतिकारियों ने जेलों में अपने दिन बिताए। 74 साल पहले भारत  के 32 करोड़ लोगों ने आजादी का सूरज देखा था।हालाकि, उस दिन भारत का दो भागों में विभाजन हुआ था जिसके फलस्वरुप पाकिस्तान अस्तित्व में आया। वर्षों की गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य आजादी पाई थी।भारत का स्वतंत्रता दिवस जिसे हर वर्ष 15 अगस्त को देश भर में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।वह 15 अगस्त का दिन सिर्फ एक आजादी का त्यौहार ही नहीं बल्कि हर भारतवासी के लिए
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस ? मतभेदों और विवादों से भरे आज के इस दौर में अगर दुनिया के लगभग सभी देश परस्पर सहमति से किसी एक मुद्दे पर एक साथ एक दूसरे का समर्थन करें तो यह मान लेना चाहिए कि जरूर वह मुद्दा वैश्विक हित से जुड़ा होगा। 21 जून को दुनियाभर में मनाया जाने वाला योग दिवस ऐसा ही एक आयोजन है। भारत में योग को स्वस्थ रहने की लगभग 5000 साल पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह हमारे देश के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा है।  संयुक्त राष्ट्र महासभा से प्रधानमंत्री                   नरेंद्र मोदी का आह्वान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितंबर, 2014 को दुनियाभर में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा भारत के लिए एक महान क्षण था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव आने के मात्र तीन माह के भीतर इसके आयोजन का ऐलान कर दिया। महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को यह ऐलान किया कि 21 जून का दिन दुनिया में योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दुनियाभर के लोगों के शारीरिक औ

Historical Truth

 आज के देशवासी यह जानते ही नहीं कि सच्चे हिंन्दुस्तानी वे थे ,जिन्होंने भारत माँ को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और स्वतंत्र भारत की रक्षा के लिए  कभी पाकिस्तान,कभी चीन और फिर कारगिल की बरफीली चोटियों पर जान हथेली पर रखकर शत्रु से लोहा लेते हुए विजय प्राप्त की।उन्होंने अपनी जवानियाँ अपने देश के लिए अर्पित कर दी। क्या हम देशवासी जानते हैं कि काकोरी कांड के शहीद अशफाक उल्ला खाँ ने फाँसी गले में डालने से पहले यह कहा था- ' हिंन्दुस्तान की जमीन में पैदा हुआ हूँ, हिंन्दुस्तान ही मेरा घर, मेरा धर्म और ईमान है। मैं हिंन्दुस्तान के लिए मर मिटूँगा और इसकी मिट्टी में मिलकर फक्र का अनुभव करुँगा। शहीद मदन लाल ढींगरा ने भी लंदन की पैटर्न विले जेल में फाँसी दिए जाने से पहले यही कहा था- ' भारत माँ की सेवा मेरे लिए श्रीराम और कृष्ण की पूजा करने जैसी है।' भारत के बेटे- बेटियाँ स्वातंत्र्य समर में यही गीत गाते थे-   हिंन्दुस्तान के हम हैं , हिंन्दुस्ताँ हमारा।   प्राणों से भी बढ़कर है, यह हमको प्यारा।। आजादी के दीवानों के लिए भा